स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आस्था चिकित्सा शास्त्र आस्था चिकित्सा शास्त्रबी. एल. वत्स
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केवल आस्था से ही चिकित्सा हो सकती है? यह जिज्ञासा विदेशों के लिए नई है और वहाँ ‘फेथहीलिंग’ पर कई प्रयोग चल पड़े हैं किन्तु हमारा देश तो इस विद्या में विश्वगुरु है...
Aastha Chikitsa Shastra-A Hindi Book by B.L. Vats - आस्था चिकित्सा शास्त्र - बी. एल. वत्स
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
क्या केवल आस्था से ही चिकिस्ता हो सकती है ?
यह जिज्ञासा विदेशों के लिए नयी है और वहाँ ‘फेथहीलिंग’ पर कई प्रयोग चल पड़े हैं किन्तु हमारा देश तो इस विद्या में विश्व गुरु है। ‘अर्थर्ववेद’ आस्था चिकित्सा का विश्वकोष ही है। इसी का आधार ग्रहण करते हुए कठिन-कठिन रोगों का केवल आस्था, मंत्रो, यज्ञों द्वारा, अथवा विश्वविख्यात औषधियों के सेवन द्वारा उपचार किया जा सकता है। संसार का कोई रोग ऐसा नहीं जिसका आस्था द्वारा उपचार न हो सके। कृत्या, शाप-मुक्ति, महारोगों का उपचार एवं नये-नये रोगो का निदान भी आस्था द्वारा सम्भव है। लेखक ने इस कृति में अपने व्यवहारिक अनुभव जोड़कर कृति की उपादेयता बढ़ा दी है।
यह जिज्ञासा विदेशों के लिए नयी है और वहाँ ‘फेथहीलिंग’ पर कई प्रयोग चल पड़े हैं किन्तु हमारा देश तो इस विद्या में विश्व गुरु है। ‘अर्थर्ववेद’ आस्था चिकित्सा का विश्वकोष ही है। इसी का आधार ग्रहण करते हुए कठिन-कठिन रोगों का केवल आस्था, मंत्रो, यज्ञों द्वारा, अथवा विश्वविख्यात औषधियों के सेवन द्वारा उपचार किया जा सकता है। संसार का कोई रोग ऐसा नहीं जिसका आस्था द्वारा उपचार न हो सके। कृत्या, शाप-मुक्ति, महारोगों का उपचार एवं नये-नये रोगो का निदान भी आस्था द्वारा सम्भव है। लेखक ने इस कृति में अपने व्यवहारिक अनुभव जोड़कर कृति की उपादेयता बढ़ा दी है।
प्राक्कथन
आस्था चिकित्सा विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा विधि होने के साथ-साथ अधुनातम इसलिए क्योंकि ‘अर्थर्वद’ में इससे सम्बन्धित सैकड़ों सूक्तों में चिकित्सा विधि, मंत्र-प्रयोग, औषधि प्रयोग आदि का भी निर्देश है। रोगी इन सूक्तों का इतनी बार पाठ करे कि ये कंठाग्र हो जायें। किसी वेद-ऋचा से पूर्व ‘ॐ’ लगा देने से वह मंत्र बन जाती है। जहाँ आहुतियाँ देने की बात विशेष रूप से कही गई हो वहां मंत्र जाप संख्या का दशांश हवन भी करें और हवन करते समय हवन कुण्ड में आहुतियाँ ‘स्वाहा’ शब्द के साथ (स्वाहा बोलते हुए) डालें।
विश्वधर्मों का अवलोकन करने पर प्राचीनतम गायत्री मंत्र ही ऐसा मंत्र ठहरता है जो सृष्टि का प्रचीनतम मंत्र है इसमें युगों-युगों के लिए सुख, शान्ति सम्पन्नता, प्राप्ति के अगणित निर्देश सन्निहित हैं। इसे कल्याण निर्देश सन्निहित हैं। इसे किसी भी धर्म में सम्प्रदाय को अपनाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक कल्याणकारी पाठक इसे बेझिझक अपना सकता है और देवताओं के भारी बोझ से बचकर स्वास्थ्य लाभ कर सकता है।
आस्था केवल चिकित्सा में ही नहीं अपितु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए अनिवार्य है। हमने अपने स्वनुभव जोड़कर इस प्रणाली को सर्वोपयोगी औ व्वरिक बनाने का यथाशक्ति प्रयत्न किया है।
हम भगवती पॉकेट बुक्स के आभारी हैं कि उन्होंने इसे प्रकाशित करके लोकमंगल का अनुपम अनुष्ठान सम्पन्न किया है। पाण्डुलिपि तैयार करने में निशीथ वत्स ने बड़ा परिश्रम किया है, हम उनके कृतज्ञ हैं। जिन रचनाकारों एवं प्रकाशकों की कृतियों का इसके प्रणयन में उपयोग हुआ है हम उनके प्रति आभारी हैं।
विश्वधर्मों का अवलोकन करने पर प्राचीनतम गायत्री मंत्र ही ऐसा मंत्र ठहरता है जो सृष्टि का प्रचीनतम मंत्र है इसमें युगों-युगों के लिए सुख, शान्ति सम्पन्नता, प्राप्ति के अगणित निर्देश सन्निहित हैं। इसे कल्याण निर्देश सन्निहित हैं। इसे किसी भी धर्म में सम्प्रदाय को अपनाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक कल्याणकारी पाठक इसे बेझिझक अपना सकता है और देवताओं के भारी बोझ से बचकर स्वास्थ्य लाभ कर सकता है।
आस्था केवल चिकित्सा में ही नहीं अपितु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए अनिवार्य है। हमने अपने स्वनुभव जोड़कर इस प्रणाली को सर्वोपयोगी औ व्वरिक बनाने का यथाशक्ति प्रयत्न किया है।
हम भगवती पॉकेट बुक्स के आभारी हैं कि उन्होंने इसे प्रकाशित करके लोकमंगल का अनुपम अनुष्ठान सम्पन्न किया है। पाण्डुलिपि तैयार करने में निशीथ वत्स ने बड़ा परिश्रम किया है, हम उनके कृतज्ञ हैं। जिन रचनाकारों एवं प्रकाशकों की कृतियों का इसके प्रणयन में उपयोग हुआ है हम उनके प्रति आभारी हैं।
ॐ मातरं भगवतीं देवीं, श्री रामञ्चजगदगुरुम्।
पादपद्मे तयोः श्रित्वा प्रणमामि मुहुर्भुहुः
पादपद्मे तयोः श्रित्वा प्रणमामि मुहुर्भुहुः
- डॉ० बी० एल० वत्स
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अनुक्रम
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